वेब सीरीज समीक्षा: मोहल्ले वाला प्यार — गली-मोहल्लों से उठती सच्ची, मिट्टी की खुशबू वाली प्रेम कहानी

मोहल्ले वाला प्यार — गली-मोहल्लों से उठती सच्ची, मिट्टी की खुशबू वाली प्रेम कहानी
  • वेब सीरीज समीक्षा: मोहल्ले वाला प्यार
  • कलाकार: मुग्धा अग्रवाल, धवल ठाकुर, रोहित चौधरी
  • क्रिएटर और डायरेक्टर : श्रद्धा पासी जयरथ
  • निर्माता: व्योम चराया
  • बैनर: रस्क मीडिया
  • अवधि : 10 -12 मिनट (पांच एपिसोड)
  • भाषा: हिंदी
  • प्लेटफार्म: ऑलराइट ऐप और ऑलराइट यूट्यूब चैनल
  • रेटिंग: 4 स्टार

कहते हैं, कुछ कहानियाँ लिखी नहीं जातीं… बस महसूस हो जाती हैं। मोहल्ले वाला प्यार भी ऐसी ही कहानी है — जहाँ इज़हार कम, और नज़रें ज़्यादा बोलती हैं। रस्क मीडिया द्वारा निर्मित और श्रद्धा पासी जैराथ द्वारा निर्देशित यह पाँच एपिसोड की शॉर्ट सीरीज़ हमें सीधे उसी दुनिया में ले जाती है, जहाँ मोहल्लों की छतों पर दिवाली की रोशनी और दिलों के बीच अनकही बातें तैरती रहती हैं। मुग्धा अग्रवाल, धवल ठाकुर और रोहित चौधरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। हर एपिसोड लगभग 10–12 मिनट का है और इसे ऑलराइट ऐप तथा ऑलराइट के यूट्यूब चैनल चैनल पर जारी किया गया है।

कहानी

यह कहानी हर्षिल और अनामिका की है — पड़ोसी, दोस्त, और शायद उससे भी ज़्यादा। बचपन से साथ बड़े होते हुए, उनके बीच ज़्यादा शब्द नहीं, लेकिन छोटी-छोटी निगाहों, मुस्कुराहटों और त्योहारों की यादों की एक पूरी दुनिया है। हर दिवाली, जब आसमान पटाखों से चमकता है, हर्षिल का दिल कहता है—आज बोल दूँ… लेकिन उसकी हिचक उसे हमेशा एक ही बहाना देती है—“शायद… अगले साल।”

इस दिवाली सब कुछ बदल जाता है, जब अनामिका की दुनिया में विशाल आता है। रोशनी वही है, त्योहार वही है, लेकिन हर्षिल की छत पर पहली बार बेचैनी उतरती है। धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि यह सिर्फ़ मोहल्ले वाली दोस्ती नहीं — यह अनकहा, अधूरा और सच्चा प्यार है।

परफॉर्मेंस

मुग्धा अग्रवाल (अनामिका) स्क्रीन पर दीपक की तरह चमकती हैं — उनका अभिनय सहज और गर्मजोशी से भरा है। धवल ठाकुर ने अनकहे प्रेम की चुप्पी और दर्द को चेहरे के सूक्ष्म भावों और ठहरे हुए सन्नाटों से बेहतरीन ढंग से उकेरा है।

रोहित चौधरी कहानी में नई हलचल और ऊर्जा लेकर आते हैं, जिससे भावनाओं का तनाव और स्पष्ट होता है।

लेखन और निर्देशन

श्रद्धा पासी जैराथ का निर्देशन इस सीरीज़ को अलग ऊँचाई देता है। कहानी को जिस तरह बहने दिया गया है, वह स्क्रिप्टेड कम और यादों की तरह ज़्यादा महसूस होती है।

Created On :   10 Nov 2025 5:31 PM IST

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